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प्रभात गीत-25-Jan-2024

प्रभात गीत 


रैना बीती भोर हुआ

फिर अलसाये क्यों सोते हो

इतना सुंदर सुबह सवेरा 

सो सो कर क्यों खोते हो। 


जीवन की यह डगर दूर है 

चलना अभी तो बाकी है 

थककर हारे खुद को मारे

बैठ यहां क्यों रोते हो।  


उगता सूरज तुम्हें बताता 

पथ पर चलते रहना है 

देख अंधेरा घोर रैन का

तुम पीछे क्यों होते हो। 


चिड़ियों के कुल कलरव का धुन 

फूल फूलकर बता रहे हैं 

भोर हुआ सूरज उग आया

सोकर दुख क्यों बोते हो। 



           रचनाकार

      रामबृक्ष बहादुरपुरी

  अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश 

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8 Comments

Mohammed urooj khan

27-Jan-2024 06:45 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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KALPANA SINHA

26-Jan-2024 08:00 AM

Awesome

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Khushbu

26-Jan-2024 01:00 AM

V nice

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